सरल ,मधुर मेरी रचना

April 24, 2012

सरल ,मधुर मेरी रचना
लिख रहा हू सुन्दर सपना
इठलाती ,इतराती
झूम रही हैं देखो लक्ष्या….

झाड़ू ,पोछा ,बिस्तर लगाना
छूप-छूप के हँसना रोना     
रुठ -रुठ के जिद्दी होंना
फिर चाचू से २ र लाना

इस्कूल जाना,इस्कूल से आना
खुद ही खुद को बतियाना
लगता उसको सबसे अछा
मेरे फोन से फोन लगना

पापा की गाड़ी पर घूमना फिरना
फिर हवाहों से बातें बतियाना……..

सरल , मधुर मेरी रचना
लिख रहा हू सुन्दर सपना
इठलाती ,इतराती
झूम रही हैं देखो लक्ष्या….

मन बांवरा ……..

March 24, 2012

मन बांवरा ........

में तेरे शहर में आया हू , खुद की महफ़िल सजाने आया हू
तेरे इश्क की इस आंधी में ,खुद को फिर मिटाने आया हू .

में भी तेरा दीवाना हू ,बस यही बात बताने आया हू
तेरे इश्क की मासूमियत में ,खुद को फिर लुटाने आया हू .

मैं भी कितना बांवरा हू ,यह तुझे जताने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की प्यास बुझाने आया हू .

तुम मेरी हो – तुम मेरी हो ,बस यही तुम्हें कहने आया हू
तेरे इश्क के शहर में ,खुद की महफ़िल सजाने आया हू.

विकास जैन …..

ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत निराला हैं

October 13, 2011

ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत निराला हैं
कभी खुशियाँ भर -भर के देता हैं
तो कभी गम के आँसू रुलता हैं
कभी छप्पर फाड़ के देता हैं
तो कभी बेवजह संघर्ष करता हैं
ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत निराला हैं……
कभी मोंत का दावत ले के अता हैं
तो कभी के मुह से ले के अता हैं
ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत निराला हैं……
शायद इसलिए ऐ जिंदगी तेरा सफर बहुत प्यारा हैं
Vikas Jain

यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं

August 23, 2011

यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं , हर मोड़ पर अपना रंग बदल देती हैं
कोई अपने बेगाने हो जाते हैं ,तो कोई पराया अपना हो जाता हैं
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं , हर मोड़ पर कुछ नया सिखाती हैं
कभी खुशिया भर -भर के आती है, तो कभी-कभी दुःख के बादल हर रोज बरसते हैं
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं ,हर मोड़ पर एक नया मुकाम बनाती हैं
इस ज़िन्दगी से हर रोज किसी न किसी को शिकायत होती है ,तो कोई इसकी प्रशंसा करता हैं
यें ज़िन्दगी कभी खामोश रहती हैं ,और कभी-कभी बिन कहे कुछ कह जाती हैं
यें ज़िन्दगी दुश्मनों के साथ रहकर, अपनों को धोका दे जाती हैं
यें ज़िन्दगी भी अजीब सी हैं , हर मोड़ पर एक नया रंग दे जाती हैं
Vikas Jain
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धीरे -धीरे मेरा दिल मचलने लगा

August 10, 2011

धीरे – धीरे मेरा दिल मचलने लगा , चुपके- चुपके मैं मोहह्बत करने लगा
ये समझ न आया क्या होने लगा ….
जब से तुमको यु देखा ,तो मन हि मन मोहह्बत करने लगा
मैं दीवाना तेरा ये दुनियाँ से कहने लगा ,तु ही जिंदगी मेरी बस ये समझने लगा
धीरे-धीरे मैं मोहह्बत करने लगा ,चुपके- चुपके मैं मोहह्बत करने लगा

“हाल -ए- ज़िन्दगी “

June 8, 2011

मोहब्बत का इरादा बदल जाना बी मुश्किल है
उन्हें खोना बी मुश्किल है और पाना बी मुश्किल है
ज़रा सी बात पर आंखें भिगो कर बैठ जाते है वो
उसे तो अपने दिल का हाल बताना बी मुश्किल है
यहाँ लोगो ने खुद पर इतने परदे दाल रखे है
किसी के दिल में क्या है नज़र आना बी मुश्किल है
मन के ख्वाब में मुलाक़ात होगी उनसे
पर यहाँ तो उसके बिना नींद आना बी मुश्किल है
औरो से क्या गिला अब तो आलम ये हे “हाल -ए- ज़िन्दगी ” खुद को समझाना बी मुश्किल है
इस मुश्किल में जो साथ दे मेरा अब उस हम सफ़र को धुंध पाना बी मुश्किल है

मदर डे पर प्रकाशित

May 7, 2011

तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है
कि जैसे याद की खुशबू किसी हिचकी से आती है।
मुझे आती है तेरे बदन से ऐ माँ वही खुशबू,
जो एक पूजा के दीपक में पिगलते घी से आती है॥

खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने
अगर छीनना है जहाँ छीन ले वो
जमी छीन ले आसमाँ छीन ले वो
मेरे सर की बस एक ये छत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने

अगर माँ न होती जमीं पर न आता
जो आँचल न होता कहाँ सर छुपाता
मेरा लाल कहकर बुलाती है मुझको
कि खुद भूखी रहकर खिलाती है मुझको
कि होंठों कि मेरी हँसी छीन ले वो
कि गम देदे हर एक खुशी छीन ले वो
यही एक बस मुझसे दौलत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने

मुझे पाला पोसा बड़ा कर दिया है
कि पैरों पे अपने खड़ा कर दिया है
कभी जब अँधेरों ने मुझको सताया
तो माँ की दुआ ने ही रस्ता दिखाया
ये दामन मेरा चाहे नम कर दे जितना
वो बस आज मुझ पर करम कर दे जितना
जो मुझ पर किया है इनायत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने

अगर माँ का सर पर नहीं हाँथ होगा
तो फ़िर कौन है जो मेरे साथ होगा
कहाँ मुँह छुपाकर के रोया करूंगा
तो फ़िर किसकी गोदी में सोया करूंगा
मेरे सामने माँ की जाँ छीनकर के
मेरी खुशनुमा दासताँ छीन कर के
मेरा जोश और मेरी हिम्मत न छीने
खुदा मुझसे माँ की मोहब्बत न छीने

इमरान ‘प्रतापगढ़ी’

प्यार बरसेगा

March 31, 2011

जब जमाना इश्क को समझेगा
तब मेरे यार ये माहौल बदलेगा
ना होगा फिर मोहब्बत पर पहरा
ना कोई मिलने को तरसेगा
बस आग जलेगी मौहब्बत की सबके दिल में
हर कोई मौहब्बत करने को तरसेगा
प्यार ही प्यार होगा चारो ओर
सभी होंगे प्यार में
मौहब्बत का सूरज तब आसमान में चमकेगा
फिर देखना ए मेरे दोस्त
इस दुनिया में ऐसा वक़्त आएगा
आसमां से पानी की जगह
प्यार बरसेगा

एक पगली न जाने क्यू

March 30, 2011

एक पगली न जाने क्यू
मुझको देखकर मुस्कुराती थी
जब मैं उसको बुलाता तो
वो जाने क्यू इतराती थी
जब जब मैं उसको देखता तो
मै सोचा करता था
लगता था जैसे उसकी याद मुझे सताती थी
उसको देखना मुझे अच्छा लगता था
और मुझको देखकर वो मुसकराती थी
मै जब उससे कहता
मै तुमसे प्यार करता हूँ
फिर वो मुझको पागल बताती थी
जब कभी मै उदास हो जाया करता था
आकर मेरे पास मुझे खूब हंसाती थी
जब मै उसकी चोटी खीचा करता था
कुछ देर के लिए वो रूठ जाती थी
प्यार की बाते समझी जब वो
मुझको अपना खुदा बताती थी
छोडकर ना जाना तुम मुझको
साथ जीने मरने की कसमे खाती थी
साथ जीने मरने की कसमे खाती थी ……..

छोटी सि जिंदगी है

February 23, 2011

हँसना ही जिंदगी हें हसके बिताये जो पल ,वही तो जिंदगी है
नामुकिन कुछ नहीं सब कुछ है यही , इसी का ही नाम है जिंदगी
पाना ही सब कुछ नहीं ,पाकर कुछ खोना भी जिन्दगी है
हँसना ही जिंदगी हें हसके बिताये जो पल ,वही तो जिंदगी है

तन्हाई को दूर करो अपने सपनो खुश करो
छोटी सी जिंदगी है ….इसे हर पल खुश करो
चार दिन की जिंदगी है मस्ती जी ले यार
हँसना ही जिंदगी हें हसके बिताये जो पल ,वही तो जिंदगी है